जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा, "एक कट्टरपंथी मुस्लिम की तुलना किसी चरमपंथी या अलगाववादी से नहीं की जा सकती।"
जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने एक 22 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की प्रिवेंटिव डिटेंशन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। उसे इस अधार पर हिरासत में लिया गया था कि कि वह एक "कट्टरपंथी" बन गया है और स्वेच्छा से लश्कर ए तैयबा के कथित संगठन टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) के ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करने के लिए सहमत हो गया है।